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कवि (Random)



एक कवि अमूर्त स्वरूप को अपनी कविता में ला कर रसकेंद्रित करता हैं। कवि समाज का आईना हैं। उसे खुद के दिल और दिमाग़ को ढीठ करना पढ़ता हैं, जीवन के सत्य को आत्मभाव से प्रतिपादित करना पड़ता हैं। उसने जो लिखा वह सत्य और जीव के प्रति अपना प्रेम समझकर लिखा कवि मानव कल्याण सोचता है। इसलिए कवि सबका लोकप्रिय बनता हैं और उसके ध्येय से लोकमंगल एव सौंदर्यबोध होता हैं। कवि सत्य को सुखदायी तरीकेसे सामने रखता हैं। पर ये बात भी सत्य हैं के कवि प्रथम एक व्यक्ति हैं और समाज का हिस्सा, समाज की एक अनिवार्य इकाई। उसमें भेदभाव नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक वर्ग के लोगों को साथ रखने वाला धागा एक कवि और उसकी कविता हैं। क्योंकि सब लोग उसकी कविता की तरफ़ आकर्षित होते हैं।पर स्वाभाविक रूप से वह दहलानेवाली कविता उसके बोलचाल और आवाज़ की गहराई किसी को भी सम्मोहित कर सकती हैं। एक कवि अपनी मर्ज़ी पर चलता हैं। वह एक दूरदृष्टी, दृढ़विश्वास के साथ उभरता हैं। वह जिंदगी की सटीकता पहचानता हैं और कभी कभी वह जानबूझकर जिंदगी के इशारों को समझनें में देर करता हैं, वह वक्त लेता हैं, पर उसे इस बात का अंजाम भी पता होता हैं। उसे अपनी इच्छा को मारना पड़े तो वह सह लेता हैं पर वह बहुत छोटी छोटी ख़ुशी और कुछ लम्हों में मन भर के जी लेता हैं। जैसे उदाहरणार्थ (बारिश के मौसम में एक कवि कुछ लोगों के साथ एक छत के नीचे खड़ा हो और बारिश हो रही हो, तो वह किसी भी चीज़ की परवाह किये बिना भीगने दौड़ेगा)। कवि हमेशा सर्जनशील होता हैं। कविता लेखन सीखा जा सकता हैं पर वो कवि का कवित्व नहीं। कुछ चीज़ें कुदरती होती हैं और ये सच हैं की कवि पैदा होता हैं, बनाया नहीं जाता (poet is born, not made)। जब एक कवि लोकप्रिय बनता हैं तब उसका कारण उसका काव्य सत्यम,शिवम और सुंदरम का समन्वय हैं।


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